चीताखेड़ा-10 जनवरी। *जो व्यक्ति जल में निर्वस्त्र स्नान करते ,मूत्र त्यागते और थूंकते है ऐसे व्यक्ति को मरणोपरांत जल भी नसीब नहीं होता है। शास्त्रों को पढ़ने और सुनने के साथ -साथ शस्त्र ज्ञान भी होना बहुत जरूरी है। समय खराब आ रहा है, बांग्लादेश में भी बहन बेटियों के साथ अत्याचार किए गए हैं। गौमाता हमारी सनातन धर्म है, हमारा सनातन धर्म गौमाता से जुड़ा हुआ है। अभिमानी व्यक्ति आडंबरी प्रवृत्ति के दिखवा अधिक करता, चाहें भक्ति हो या अन्य कार्यक्रम।जब व्यक्ति पाप मार्ग पर निकले तो उसकी अंतर आत्मा साथ देना बंद कर देती हैं मन बुद्धि का दास हो जाए तो संकल्प की शक्ति समाप्त हो जाती हैं।लालच में जीने के बजाए परमात्मा की चाहत मे जीना सिखो ।**
उक्त अमृतवाणी कथा मर्मज्ञ पंडित निरंजन शर्मा ने कराड़िया महाराज में खाखरदेव मंदिर परिसर में भगवान सिंह राणावत परिवार द्वारा आयोजित साप्ताहिक श्रीमद भागवत ज्ञान गंगा प्रवचन के पांचवें दिन शुक्रवार को अपने मुखारविंद से पंडाल में उपस्थित श्रद्धालुओं को रसास्वादन प्रवाहित करते हुए कही। कहा है कि जहां धर्म का वास है वहां कलयुग टिक नहीं सकता है, भोजन बनाते समय पहली रोटी गाय की दुसरी रोटी कुत्ते की निकाल कर फिर परिवार के लिए, घर में हमेशा ऐसे नियम रखने वाले घरों में कभी भी दरिद्रता नही आती है। जो व्यक्ति अपनी दशों इन्द्रियों को एकाग्र चित्त करके परमात्मा की भक्ति करता है तो आत्मा को प्रसन्नता प्राप्त होती है वही गोपी है। परब्रह्म परमात्मा अभिमान की डोर से नहीं बल्कि प्रेम की डोर से बंध जाते हैं। कथा में पंडित निरंजन शर्मा द्वारा भागवत के प्रसंग का वर्णन मालवी भाषा में जिस प्रकार व्यंग्यात्मक शैली में किया जा रहा हैं जिसको सुनना जन मानस को खुब भा रहा हैं।संक्षिप्तता भी उनकी एक विशेषता हैं किसी प्रसंग को अनावश्यक नहीं बढाते हुए वे सीधे मानव मन पर प्रहार करते हैं।उनका प्रभाव यहां बडी संख्या में उपस्थित ग्रामीणों पर पड रहा हैं।इस अलौकिक श्रीमद भागवत धर्म गंगा माहोल में शामिल होने पर श्रध्दालु अपने आपको सोभाग्य मान रहे हैं और खुद को अभीभूत महसुस कर रहे हैं। व्यास पीठ पर सरस्वती शिशु मंदिर के विद्यार्थियों द्वारा पंडित निरंजन शर्मा को शाल श्रीफल भेंट कर स्वागत किया। वहीं मंडी पूर्व अध्यक्ष उमराव सिंह गुर्जर, संजय रावत नीमच ने व्यासपीठ पर जाकर पोथी पूजन कर पंडित जी शर्मा का स्वागत कर कथा श्रवण की।
श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा का रस पान करवाते हुए कहा कि कारागार में ब्रह्म आये तो देवकी और वासुदेव की बेडियां और कारागार के ताले टूट गए और जब माया आई तो फिर बेडियां और ताले लग गए। भगवान प्रेम के बंधन में बंधता हैं बिना प्रेम के परमात्मा को कोई बान्ध नहीं सकता।
*कथा पंडाल में मनाया नंदोत्सव*
नन्दोत्सव के साथ कथा का पांचवां दिन उत्साह के साथ प्रारंभ हुआ। चारों ओर आनंद मन रहा है। इस समय नंदबाबा ने दान दिया है और उन्होंने बताया कि कलयुग में दान ही एक ऐसी वस्तु है जो भगवान तक पहुंचाता है। मनुष्य को चिंता नहीं प्रभु का चिंतन करें। कथा पंडाल में रासोत्सव का वर्णन आया जहां भगवान की रासलीला का वर्णन करते हुए कहा कि यह ये संसार भगवान का रास है। हम सबके अंदर वह बैठें हैं रास के द्वारा कामनाओं का दमन होता है, भगवान ने गोपियों के साथ मिलकर रासलीला करी और उनकी कामनाओं का हरण किया।
श्रीमद भागवत कथा प्रवचन के दौरान नन्दबाबा,वासुदेव देवकी ,बलराम,गोरधन पूजन के साथ बाल लिला,माखन चोरी, तथा शक्तासुर,पूतना,कालिया नाग, श्री कृष्ण मथुरा गमन सहित अनेक धार्मिक चरित्र प्रसंगों पर विस्तार से महत्व प्रतिपादित किया।श्रौतागण श्रीकृष्ण की भक्ति में अपनी पूरी भावना से रम रहे हैं।श्रीमद भागवत ज्ञान गंगा प्रवचन में प्रतिदिन पं. निरंजन शर्मा अपने मुखारविंद से भारतीय संस्कृति के पावन उद्देश्यों को जन -जन तक पहुंचाने हेतु प्रातः 11:30 बजे से शाम 4 बजे तक धर्म ज्ञान गंगा प्रवाहित की जा रही हैं वहीं बडी संख्या में श्रौताओ की भीड भी ज्ञान गंगा की सरिता में डुबकीया लगा रहे हैं। श्रीमद भागवत ज्ञान गंगा प्रवचन सिमित के सदस्यों ने क्षेत्र के समस्त धर्मप्रेमी बन्धुओं से अनुरोध किया कि अधिक से अधिक संख्या में पहुंच कर धर्म लाभ लेवें।