अतिवृष्टि अधिक होने से सोयाबीन की सारी फसले खराब हो चुकी है। वैसे तो इतने नुक्सान के बाद प्रशासन को बिना किसी रिपोर्ट के हीं 75 फीसदी से अधिक की फसल नुकसानी की रिपोर्ट दे देनी चाहिए। लेकिन जब जिला कलेक्टर ने नुक्सानी आकलन का आदेश दिया है तो तहसीलदार खेतो में जाकर रिपोर्ट तैयार करें।
जिला कलेक्टर नीमच से मांग है की तहसीलदार की प्रारंभिक आकलन रिपोर्ट को तत्काल सार्वजनिक किया जाए एवं फसल नुक्सानी सर्वे के मापदंड क्या है? इसको भी सार्वजनिक किया जाए जिससे मुआवजा नीति में पारदर्शिता बनी रहेगी एवं किसानों को भी रिपोर्ट की सत्यता का पता लगना चाहिए।
तहसीलदार अपनी अपनी रिपोर्ट बनाकर जिला प्रशासन को भेजते हैं जिसमें कितना नुकसान का आकलन हुआ वह किसी को नहीं बताया जाता और कुछ समय निकल जाने के बाद किसानों को किसी प्रकार का मुआवजा नहीं मिलता। पिछले वर्ष भी इसी प्रकार अतिवृष्टि हुई थी
लेकिन पिछले वर्ष तहसीलदारों ने कार्यालय में बैठकर हीं रिपोर्ट तैयार कर दी थी और भारी नुकसान होने के बावजूद किसानों को कुछ भी नहीं मिला था। यहां तक की स्थानीय तीनों विधायक सहित सांसद सुधीर गुप्ता ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा था कि अतिवृष्टि से नुकसान सर्वाधिक हुआ है तत्काल मुआवजा दिया जाना चाहिए किंतु प्रदेश सरकार द्वारा किसी प्रकार का मुआवजा पिछली बार नहीं दिया गया।
हमारी नीमच जिला कलेक्टर से मांग है की फसल नुक्सानी पर किसानों को तुरंत राहत राशि प्रदान करें।
उपयुक्त जानकारी सदस्य जिला पंचायत नीमच तरुण बाहेती द्वारा दी गई