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**आसमान से बरसी बैमौसम आफत की बारिश , खेतों में भर गया पानी ,किसान हेरान और परेशान**

चीताखेडा-29 सितंबर । वर्षा काल की विदाई होते -होते एक बार फिर पलट कर अपना आक्रामक रूप में झलक दिखाते हुए शुक्रवार- शनिवार को उमड घुमडकर काली घटाएं मंडराने लगी और दोपहर बाद एक बार फिर बारिश शुरू हो गई। पिछले वर्षों के सारे रिकॉर्ड तोड़ने के बाद भी बारिश के बरसने का सिलसिला रुक-रुककर निरतंर जारी हैं,और आसमान पर डेरा डाले काले बदरा ने एक बार फिर अपना जलवा दिखाया और रुक-रुककर बारिश के कारण खेतों में खडी खरीफ की बेशकीमती सोयाबीन, उडद,मूगफली आदि फसल पुरी तरह से चोपट हो गई हैं। पीला सोना कहे जाने वाली सोयाबीन की फसलें पककर तैयार हो चुकी हैं और बारिश भी ऐसे वक्त आ गई कि जब फसलों की कटाई चल रही है खेतों में पानी भर जाने से फलियों में ही सोयाबीन अंकुरित हो रही हैं।

         पिछले साल अतिवृष्टि के कारण किसानों के सपने चकनाचूर कर दिए।प्रकृति का मारा किसान कर्ज के बोझ तले दबा जा रहा हैं।सावन की बारिश की तरह झडी लग गई आसोज में सावन की झडी से पुरा अंचल पानी-पानी हो गया। शुक्रवार को दिन भर तेज धुप रही दोपहर होते -होते काली घटाएं उमड घुमड़ करते हुए बरस पडी जो रात भर चलती रही जिससे खरिफ सीजन की मुख्य फसल एक बार फिर लगातार नुकसानी झेल रही हैं।पहले पिला मौजेक वायरस व अफलन फिर इल्लियों का हमला तो अब जब सोयाबीन कटने लगी तो बारिश थमने का नाम नहीं ले रही हैं।मानसून की सक्रियता के कारण सितंबर से लगातार हो रही बारिश ने अंचल में किसानों के सामने मुश्किलें खडी कर दी हैं। जिन किसानों ने पहली बारिश में सोयाबीन कि बोवनी कर दी थी वह फली में ही अंकुरित हो रही हैं। इससे किसानों को नुकसान हो रहा हैं वहीं सोयाबीन भी दागी होना शुरू हो गयी हैं।इससे जो किसान जैसे तैसे सोयाबीन लेकर मंडी में पहुंच रहे है उन्हें आधे दाम भी नहीं मिल रहा हैं।

         बरसात के विदाई का समय आया तो विदाई की बजाए आगमन हो गया और खाली पडे नदी नाले,कुआं-बावडी एक बार फिर उफान पर आ गए ।सोयाबीन कट चूकी फसलें तेज बहाव में बहकर अन्य खेतों में चली गई।सोयाबीन,उडद और मक्का अंकुरित होने लगी हैं पौधे सडने लगे हैं। पानी से भरे खेत फसलें काटना मुश्किल हो गया हैं।ऐसा ही चित्र हमें उपलब्ध हुआ हैं चीताखेडा के कृषक लखमीचंद जुणी के खेत का जहां साढ़े 4 बीघा खेत मे पानी भरा हुआ है जिसमें सोयाबीन की कोरियां तेरती देखी गई है । लखमीचंद जुणी ने बताया है कि साढ़े 4 बीघा खेत में एक क्विंटल सोयाबीन का बिज 8 हजार रुपए किंव्टल के भाव से खरिद कर बोवनी करी,3 बेग खाद के डाले और निदाई कुरपाई और इल्लियों पर किट नाशक दवाई का छिडकाव किया ऐसा कर 30 हजार रुपये का खर्चा हुआ।डेढ बोरी एक बीघे के हिसाब से पेदावारि हुई।

          चीताखेडा के किसान रतनलाल माली ने बताया कि लगातार बारिश के चलते सोयाबीन दागी हो रही हैं बदबू मारने लगी हैं और मंडी में भी इसका भाव नहीं मिल रहा हैं 15दिन पुर्व सोयाबीन के भाव 5-6 हजार रुपये प्रति किवंटल चल रहा था वहीं दागी सोयाबीन को नई बताकर 3 हजार से 4 हजार रुपये तक किसानों को उपज के दाम लगाएं जा रहे हैं । किसान नेता राजेंद्र सिंह तोमर ने किसानों के खेतों में पहुंचकर बारिश से हुए नुकसानी का जायजा लिया और हर पल किसानों के अधिकार की लड़ाई लड़ने को तैयार रहने को कहा। कहा कि लगातार चार सालों से प्रकृति की मार झेल रहा किसान आर्थिक रूप से टूट चुका है। प्रकृति साथ नहीं दे रही है तो वहीं सरकार भी किसानों को न तो बीमा और ना ही मुआवजा तक नहीं मिल रहा है। सरकार को चाहिए कि किसानों को बीमा और मुआवजा मिलना चाहिए 

        *पिछले 4 वर्षों से कभी शीतप्रकोप से तो कभी अल्प तो कभी अतिवृष्टि से फसलों में हो रहे भारी नुकसान का न तो मिला मुआवजा और न मिला बीमा ः**

   गत वर्ष भी अतिवृष्टी के कारण खरिफ कि फसल चोपट हुई और रबी की फसल शित लहर के कोप का भाजन बन गई । 4 सालों से किसानों पर कभी प्राकृतिक प्रकोप तो कभी सरकार की अनदेखी से किसान हेरान और परेशान हैं। विगत 4 सालों से हो रही प्रभावित फसलों का कई किसानों को आज तक न तो मुआवजा और ना ही बीमा मिला।

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