चीताखेड़ा -30 अक्टूबर। पांच दिवसीय दीपोत्सव का आगाज मंगलवार से धनतेरस के साथ हो चुका है। भगवान श्री विष्णु के अवतार आरोग्य देव भगवान धनवंतरी हिन्दू धर्म में देवों के चिकित्सक है। धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी इस दिन का विशेष महत्व है। शासकीय चिकित्सालय और प्रायवेट क्लिनिकों एवं मेडिकल स्टोर के संचालक एवं डॉक्टरों द्वारा ओषधियों के देवता एवं जनक धनवंतरी भगवान की शुभ मुहूर्त में पूरी तरह विधि-पूर्वक वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजन किया गया। बाजार में मां लक्ष्मी की कृपा बरसनी शुरू हो चुकी है। बाजार में साज सज्जा के साथ विद्युत की रोशनी से जगमग हो उठा। धन की देवी मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर के साथ आरोग्य के देवता धनवंतरी के जयंती के रूप में भी मनाया जाता है इसी दिन से दीपावली के पांच दिवसीय पर्व की शुरुआत हो चुकी है इस दिन हर कोई अपने सामर्थ के अनुरूप सोने ,चांदी के आभूषण और धातु के बर्तन खरीदने की परंपरा रही है।
इस महोत्सव के अवसर पर अल सुबह से ही कन्या और महिलाएं गली मौहल्लों से झुंड- झुंड बनाकर पीली मिट्टी खदानों से विधिवत पूजा अर्चना कर खोदकर घर लाती है, और घर आंगन में लीप-पोतकर, रंगोली बनाकर सायं काल के समय दीपक जलाकर धन की देवी का आह्वान किया है। ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी पुरानी परंपरानुसार गांव के लोग पीली मिट्टी को लक्ष्मी मानकर धनतेरस पर घर लेकर आएं हैं, इससे घर आंगन आदि की लिपाई पुताई करती है,इसके लिए धनतेरस पर ब्रह्म मुहूर्त में महिलाएं खदान पर जाकर सर्वप्रथम मिट्टी की विधिवत पूजा अर्चना करती है और खोदकर मिट्टी घर लेकर आई। चीता खेड़ा की आस्था मांगरिया और आस्था जैन व आंचल जैन ने बताया कि हमारी कई पीढ़ियों से आज के ही दिन पिली मिट्टी की खदानों से मिट्टी लेते आ रहे हैं। हम खुद भी कई वर्षों से खदान से मिट्टी लेने आते हैं।