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*अगर मन में कपट, इर्ष्या और अभिमान है तो भगवान की प्राप्त नहीं हो सकती---पं. निरंजन शर्मा**

चीताखेडा 8 जनवरी । बेटी घर को और बेटा मां बाप को छोड़कर चले जाते हैं तब मां बाप की आंखों से आंसू टपकन लगते हैं। अगर मन में कपट, इर्ष्या और अभिमान है तो ऐसे व्यक्ति को परमात्मा की भक्ति प्राप्त नहीं हो सकती है। भक्ति छोड़कर जडभरत को एक हिरण के बच्चे से मोह हो गया था पुरा जीवन बर्बाद हो गया,अंत मति सो गति ।मोह ही जीवन का सबसे बड़ा दु:खदाई बन जाता है।अनंत कार्यों का किया गया श्रम का फल ही श्रीमद भागवत का श्रवण हैं। मानव के अनंत यत्न करने के बाद शरीर मिलता है ,शरीर नौका है भक्ति सागर है और केवट गुरु है ,अनुकूलता मिलने से पहले प्रभु को प्राप्त नहीं कर पाया तो आत्म हत्या ही है। भगवान के प्रति अहित भक्ति करना चाहिए ,बिना लोग लालच के भक्ति करना परम धर्म है ,मानव अपने जीवन में प्रतिकूल परिस्थिति में परमात्मा का ज्यादा स्मरण होता है हमें हमेशा नंद नंदन का स्मरण करना चाहिए। संतान के अच्छे कार्यों से मात-पिता अपने आपको गौरवान्वित महसूस करते हैं और अगर बुरे कर्मों में लिप्त है तो अपने आपको कोसते हैं। 

         उक्त अमृतवाणी कथा मर्मज्ञ पं. निरंजन शर्मा ने बुधवार को कराड़िया महाराज में खाखरदेव मंदिर परिसर में मुख्य यजमान ठाकुर भगवान सिंह राणावत, मांगू सिंह राणावत, लोकेंद्र सिंह राणावत परिवार द्वारा सर्वप्रथम पोथी पूजन एवं आरती के पश्चात् आयोजित श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा महोत्सव में अपने मुखारविंद से ज्ञान वर्षा प्रवाहित करते हुए कथा के तृतीय दिवस बुधवार को कथा पंडाल में कही। पंडित निरंजन शर्मा...... ने दान के महत्व को समझाते हुए कहा कि 7 जन्मों के पूण्य उदय के पश्चात् ही दान करने की प्रवृत्ति बनती है। लेना स्वार्थ है देना परमार्थ है, देना देवत्व है लेना असुरत्व। लेना दुःख की वृद्धि है और देना सुख का विस्तार है । संग्रह की प्रवृत्ति का त्याग और ईश्वर से संबंध जोड़ना ही जीवन का संरक्षण तथा सुख शांति का प्रमुख आधार है। राजा परीक्षित ने वामन देव को अपने सुख के लालच में 3 पग जमीन दान की तो दुःख ही भोगना पड़ा।पं. निरंजन शर्मा ने अपने मुखारविंद से धर्म पंडाल में उपस्थित धर्मालुओं को कथा का रस पान करवाते हुए कहा कि जो बुरा है वो बुराई ढूंढ लेता हैं,और जो अच्छा है वो अच्छाई ढूंढ लेता हैं। जब समुद्र मंथन के दौरान मोहिनी का रूप धारण कर परब्रह्म अमृत वितरण कर रहे थे उस दौरान देवताओं की पंक्ति में कलश से अमृत पिलाया जा रहा था। दानव की पंक्ति से राहु उठ कर देवताओं की पंक्ति में सिर्फ 2 घडी की संगम हूई तो उसे अमृत मिला और अमर हो गया। यह संगत का ही असर हैं।

         श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा महोत्सव प्रवचन के दौरान जड़ भरत, अजामिल, सुखदेव राजा ,परीक्षित, वामन अवतार ,राजा बलि ,कपिल मुनी, हिरण्यकश्यप , कयाधु के प्रसंग बडे ही बेहतरीन ढंग से स्मरण कराया। श्रीमद् भागवत कथा प्रवचन के बीच-बीच में कथा मर्मज्ञ पंडित निरंजन शर्मा के द्वारा अत्याधुनिक वाद्य यंत्र की स्वर लहरियों के साथ ....... तू डूबकर मर जा रे चुल्लू भर पानी में.............,अंत समय प्रभु अब तो आना ही पड़ेगा .............,मनुष्य जनम अनमोल रे............,कह वाह रे मोज फकीरा की .............,आदि अपने सुरीले कण्ठ से मधुर भजनों की प्रस्तुति दे रहे हैं, श्रद्धालु जन पूरे मनोभाव के साथ नृत्य करने पर मजबूर हो रहे हैं। श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा महोत्सव प्रवचन में बड़ी संख्या में श्रद्धालु जन ज्ञान गंगा में डुबकियां लगा रहे हैं प्रतिदिन श्रीमद भागवत ज्ञान गंगा प्रवचन दोपहर 11:30 बजे से शाम 4 बजे तक प्रवाहित कीए जा रहे है ।श्रीमद भागवत ज्ञान गंगा समिति के सदस्यों ने क्षेत्र के समस्त धर्मालुजनो से अपील की है कि अधिक से अधिक संख्या में पहुंच कर धर्म लाभ उठाएं। 

         :**कथा पंडाल में आज मनाया जाएगा भगवान श्री कृष्ण जन्मोत्सव:**

         श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा महोत्सव प्रवचन के दौरान चौथे दिन आज दिवस 9 जनवरी 2025 गुरुवार को भगवान श्री मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम , और योगेश्वर भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाएगा। इस मौके पर कथा पंडाल को फ़ूल पन्नीयों और गुब्बारों से आकर्षक ढंग से सजाया गया है।

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