logo
add image

स्वर्ण लंकाधिपति लंकेश्वर और मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के बीच हुआ महासंग्राम , हुआ रावण वध, हुई असत्य पर सत्य की विजय*----

चीताखेड़ा -25 अक्टूबर। 10 दिवसीय रामलीला मंचन के अंतिम दिन जय श्री कमल रामायण मंडल के गणपत गुरु के कलाकारों द्वारा बजरंग मंदिर पर आयोजित बजरंग नाट्य कला रामलीला मंडल के तत्वावधान में 10 वें दिन शुक्रवार को धार्मिक रंगारंग मंच पर शास्त्रों के ज्ञाता ही नहीं बल्कि 64 कलाओं में महारथ हासिल स्वर्ण लंकाधिपति रावण के और मनुष्य लीला करते हुए मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम दोनों महायोद्धाओं के बीच महासंग्राम हुआ जिसमें श्री राम ने सत्य का आचरण किया और उपार्जित शक्ति से लंकेश्वर का वध किया। 

        कार्यक्रम के प्रारंभ में सर्वप्रथम मुख्य अतिथि आवरी माता जी मन्दिर समिति ट्रस्ट सचिव राजेश जैन, हनुमान मंदिर के पुजारी श्री श्री 108 श्री महंत बालक दास, महंत गोपाल दास जी महाराज भीलवाड़ा द्वारा श्री रामायण ग्रंथ पर द्वीप प्रज्वलित एवं माल्यार्पण कर आरती कर रामलीला मंचन का शुभारंभ किया। आमंत्रित अतिथियों का रामलीला मंचन समिति के अध्यक्ष भगत मांगरिया, कोषाध्यक्ष रामप्रसाद शर्मा, सचिव कन्हैयालाल सोनी, शंभू लाल माली, संतोष राव, गोपाल दास बैरागी सहित अन्य पदाधिकारियों द्वारा स्वागत किया गया। भगवान श्री राम के 14 वर्ष के वनवास व्यतीत करने के दौरान हजारों राक्षसों का संहार कर धर्म रक्षार्थ एवं जनहित में यज्ञ हवन पूजन करने वाले ऋषि मुनियों,संत महात्माओं के संकटमोचन बन उनकी रक्षा करते हुए आशिर्वाद प्राप्त किया। राम -रावण के युद्ध में रावण वध के दौरान घायल अवस्था में धरती पर पड़े रावण से राजनीति सिखने के लिए भगवान श्री राम ने भाई लक्ष्मण को भेजा।

विभिषण को लंका का राजा बनाया बनाया जिसका राजतिलक लक्ष्मण द्वारा किया गया। भगवान श्री राम और लक्ष्मण व हनुमान जी अशोक वाटिका पहुंचे जहां से माता सीता जी को लेकर अयोध्या के लिए प्रस्थान किया। विगत 10 दिनों से प्रतिदिन हजारों श्रद्धालुओं ने रामलीला मंचन कार्यक्रम में उपस्थित होकर रामजी की की लीला का वर्णन धर्म ग्रंथों के आधार पर कलाकारों द्वारा अलग-अलग पात्रों का अभिनय का किरदार निभाया गया जिसको खूब सराहा गया।

Top